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- 1 रुपए सालाना हो सकती है नई लाइसेंस फीस, अभी एजीआर के मुताबिक होती है गणना
- कैबिनेट के पास भेजने से पहले प्रस्ताव पर सरकार ने संबंधित मंत्रालयों से मांगे सुझाव
- प्रस्ताव लागू हुआ तो सरकार को अगले five साल में 5927 करोड़ रुपए का नुकसान होगा
दैनिक भास्कर
Jun 22, 2020, 08:12 PM IST
नई दिल्ली. आने वाले दिनों में होम ब्रॉडबैंड सस्ता हो सकता है। इसका कारण यह है कि सरकार फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सेवाओं की लाइसेंस फीस को कम करने वाले एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है। यदि ऐसा होता है तो इससे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में इंटरनेट सेवाओं का विस्तार होगा और इसकी दरें कम हो जाएंगी।
1 रुपए प्रति वर्ष हो सकती है लाइसेंस फीस
इस मामले से वाकिफ सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित योजना में फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सेवाओं पर कथित एजीआर के तहत वसूली जाने वाली लाइसेंस फीस को घटाकर 1 रुपए प्रतिवर्ष तक लाया जा सकता है। इस संबंध में तैयार किए गए नोट के मुताबिक, अभी एजीआर के eight फीसदी की दर से लाइसेंस फीस की गणना होती है। यह सालाना 880 करोड़ रुपए होती है।
संबंधित मंत्रालयों से मांगे सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी इस प्रस्ताव को लेकर सभी संबंधित मंत्रालयों से सुझाव मांगे गए हैं। सभी मंत्रालयों से सुझाव आने के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।
जियो, एयरटेल और वोडाफोन को होगा ज्यादा फायदा
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को होगा। रिलायंस जियो ने पिछले साल ही अपनी ब्रॉडबैंड सेवा लॉन्च की है। देश में कुल 350 इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां हैं। इनमें से जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया बड़ी कंपनियां हैं।
कमर्शियल उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा लाभ
सूत्रों का कहना है कि यह प्रस्ताव केवल होम ब्रॉडबैंड को सस्ता करने के लिए लाया जा रहा है। इसका कमर्शियल उपभोक्ताओं जैसे बड़े कॉरपोरेट और कारोबारी संस्थानों को नहीं मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव को लागू करने से सरकार को अगले पांच साल में 5927 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है। हालांकि, इस नुकसान को छोड़ दिया जाए तो इससे देश में डिजिटल एक्सेस में बढ़ोतरी होगी और नई नौकरियां पैदा होंगी। मौजूदा कोरोना संक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा है।
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