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- आयातित कारों पर सरकार की बढ़ोत्तरी हो सकती है; पियूष गोयल पेरेंट कंपनियों को रॉयल्टी पेमेंट कम करने के लिए ऑटो फर्म की मांग करते हैं
नई दिल्ली28 मिनट पहले
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गोयल ने कहा कि कुछ अन्य देशों के शुल्क और नान-ट्रेड बाधाएं खड़ी करने से भारत के वाहन निर्यात को नुकसान पहुंच रहा है।
- रॉयल्टी में कमी करने वाली कंपनियों से गाड़ियों की बिक्री कम करने और घरेलू बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी
- गोयल ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देश ने कुछ विशेष तरह के आयात शुल्क लगाए हैं
पीयूष गोयल ने भारत में काम कर रही वाहन कंपनियों से अपनी मूल कंपनियों को रॉयल्टी भुगतान कम करने को कहा है। उनका कहना है कि इससे संकट से गुजर रही औक इंडस्ट्री को उबरने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश के व्हीकल मार्केट पर व्हीकल कंपनियों की अच्छी खासी पकड़ है और वे अपनी पैरों वाली कंपनियों को कई करोड़ डॉलर का रॉयल्टी भुगतान करती हैं। रॉयल्टी में कमी उनकी कैश फ्लो की समस्या को कम कर सकती है। इससे गाड़ियों की कारों को कम करने और घरेलू बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सरकारी कारों पर ड्यूटी बढ़ सकती है
गोयल ने कहा कि कुछ अन्य देशों के शुल्क और नान-ट्रेड बाधाएं खड़ी करने से भारत के वाहन निर्यात को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देश ने कुछ अलग तरह के आयात शुल्क लगाए हैं। वहीं, इंडोनेशिया ने किरा का कोटा तय कर दिया है। उन्होंने कहा, हम इन मुद्दों का समाधान करने में लगे हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया के साथ हमने बेहतर संवाद स्थापित किया है। मैंने इंडोनेशिया के समक्ष भी मुद्दा उठाया है। उद्योग को बाजार तक अखंडता मिलनी चाहिए।
कम हो सकता है जीएसटी रेट
लॉकडाउन से भारी दबाव और सुस्ती झेल रही भारतीय ऑटो उद्योग को केंद्र सरकार बड़ी राहत दे सकती है। सरकार सभी तरह के व्हीकल्स पर जीएसटी रेट में 10 प्रति कटौती करने पर विचार कर रही है। मिनिस्टर ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटर्प्राइज लाइटिंग जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सभी तरह के वाहनों पर जीएसटी रेट में 10 फीसदी कटौती करने की अटूट इंडस्ट्री की मांग पर विचार कर रही है। सरकार इसकी घोषणा जल्द ही करने वाली है।
सरकार लाएगी वीरकल पट्टेज नीति
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार को विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से इनपुट मिले हैं और इन्सेंटिव बेस्ड व्हीकल्स इंक्रीज पॉलिसी तैयार है। जल्दी ही इसकी घोषणा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि औटो इंडस्ट्री जीएसटी दरों में कटौती करने और कोरोनावायरस बीमारी के बाद के दौर में मांग रिवाइव करने के लिए व्हीकल्स लॉकेज नीति को समय पर लागू करने की मांग कर रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घरेलू बाजार में वाहनों की बिक्री में 75 प्रतिशत की गिरावट आई।
कोरोनावायरस की वजह से उद्योग की तरह Inf
कोरोनावायरस के प्रकोप से भारत का संलग्न उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन में वाहनों का उत्पादन पूरी तरह बंद रहा और मांग बिल्कुल ना के बराबर रही। वाहन मैन्युफैक्चरिंग के अप्रैल की बिक्री रिपोर्ट का आंकड़ा जीरो रहा। हालांकि, अब इंडस्ट्री रिकवर कर रही है, मांग में तेजी आई है। SIAM के अध्यक्ष राजन वढेरा ने कहा कि रिवेंजर्स व्हीकल्स सेगमेंट ने पिछले दो दशकों में सबसे लंबी दूरी देखी है। इसी तरह, कॉमर्शियल व्हीकल्स ने पिछले 15 वर्षों में दूसरी सबसे लंबी मात्रा का सामना किया। उन्होंने कहा कि टू व्हीलर्स वाहन सेगमेंट में भी छह तिमाहियों के लिए निरंतर मात्रा देखी गई है।
मारुति सुजुकी के एमडी और सीईओ केनिची आयुकावा ने कहा कि हम कह सकते हैं कि अगस्त में हमने पिछले साल की तुलना में सुधार की है। हालांकि, पिछले साल से तुलना करना सही नहीं होगा, क्योंकि उस दौरान उद्योग ने 15-25 प्रतिशत की निगेटिव ग्रोथ दर्ज की थी। इसने उद्योग को कई साल पीछे कर दिया है।
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