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- Government Of India Warns Users Against Downloading These Kind Of Apps; Check Here
नई दिल्ली17 घंटे पहले
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- साइबर हैकर फर्जी मोबाइल ऐप्स के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं
- कोरोना के दौरान यूजर्स घर पर ही स्वास्थ्य चेकअप के लिए हेल्थ ऐप का यूज कर रहे हैं
कहीं आप जिस ऐप को काम का समझकर डाउनलोड कर रहे हैं वह आपको मुसीबत में ना डाल दें। दरअसल, साइबर हैकर फर्जी मोबाइल ऐप्स के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। केन्द्र सरकार ने अपने साइबर जागरूकता ट्विटर हैंडल साइबर दोस्त पर एक एडवाइजरी जारी की है, जो उपयोगकर्ताओं को अज्ञात URL से ऑक्सीमीटर ऐप डाउनलोड करने के खिलाफ चेतावनी देती है। बता दें कि साइबर दोस्त ट्विटर हैंडल को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मेंटेन किया जाता है और यह समय-समय पर किसी भी संभावित साइबर खतरों पर सलाह जारी करता रहता है।
जानिए एडवाइजरी में क्या कहा गया है ?
केन्द्र सरकार ने अपने एडवाइजरी में कहा है कि ऐसे ऐप्स जो कि यूजर्स के बाडी में ऑक्सीजन लेवल की जांच करने का दावा करते हैं, तो वे नकली हो सकते हैं। ऐसे में पर्सनल डेटा और अन्य जानकारी फोन से हैक होने की पूरी संभावना है। यूजर्स की बायोमेट्रिक जानकारी भी चुरा सकते हैं।
Some URL Links on web are promoting to offer pretend Mobile Oximeter Apps to test your oxygen stage. Do no longer obtain such pretend Oximeter Apps to your cell, as those Apps might scouse borrow your individual or biometric information out of your Mobile telephone.
— Cyber Dost (@Cyberdost) September 18, 2020
कोरोना के दौरान ऑक्सीमीटर ऐप का बढ़ा चलन
बता दें कि कोरोना महामारी के इस दौर पर हेल्थ एक्सपर्ट ने लोगों को घर पर ही अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने को कहा है। इनमें ऑक्सीजन का लेवल चेक करना काफी अहम माना जाता है ऐसे में लोग ऑक्सीमीटर ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर और बाजारों में ऑक्सीमीटर डिवाइस उपलब्ध हैं।
स्मार्टफोन में केवल ई-वॉलेट ऐप डाउनलोड करें
इस महीने की शुरुआत में हैंडल ने चेतावनी दी थी कि यूजर अपने मोबाइल में वेरिफिकेशन और प्रूफ के बाद ही कोई ऐप डाउनलोड करें। अपने स्मार्टफोन में केवल ई-वॉलेट ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी गई थी जिसका मतलब है कि उन्हें सीधे एपल के ऐप स्टोर और केवल गूगल प्ले स्टोर से इंस्टॉल करना है। एसएमएस, ईमेल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त किसी भी ई-वॉलेट लिंक पर धोखाधड़ी की जा सकती है और उस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।
साइबर दाेस्त ने अपने ट्विटर हैंडल पर सोमवार को यूजर्स को सोशल मीडिया पर UPI एप्स के माध्यम से डिस्काउंट कूपन, कैशबैक या त्योहार कूपन के बारे में किसी भी आकर्षक विज्ञापन के बारे में चेतावनी दी क्योंकि वे धोखाधड़ी कर सकते हैं।
Beware of quite a lot of fraudulent profitable commercials relating to Discount Coupons, Cashback and Festival Coupons providing bills thru UPI Apps on Social Media.
— Cyber Dost (@Cyberdost) September 21, 2020
गूगल ने 23 नकली ऐप्स की पहचान की थी
बता दें कि हाल ही में गूगल ने 23 नकली ऐप्स की पहचान की थी। जानिए आप कैसे असली और नकली ऐप का पता लगा सकते हैं-
- जब भी यूजर्स गूगल प्ले स्टोर पर किसी ऐप को सर्च करते हैं तो उसके नाम की कई ऐप्स की लिस्ट आती है। ऐसे में उन ऐप्स का डिस्क्रिप्शन जरूर पढ लें।
- ऐप्स के आइकन पर खास ध्यान दें। यह ओरिजिनल ऐप से अलग होता है। ऐप के नाम, स्पेलिंग देख लें।
- फर्जी डेवलपर अपनी डिटेल्स आसानी से नहीं दिखने देते हैं ऐसे में आप ऐप को डाउनलोड करने से पहले डेवलपर का नाम जरूर चेक कर लें। डाउनलोड काउंट कम होने पर उसे डाउनलोड करने से बचे। ऐसा इसलिए क्योंकि एक वेरिफाइड ऐप के डाउनलोड की संख्या काफी ज्यादा होती है।
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